दैनिक उजाला-24 शाहजहांपुर (संजय जैन)
तहसील जलालाबाद के अन्तर्गत एक ऐसा भी गांव है जहां आजादी के 78 साल बाद भी न सड़क है न ही सुविधा और शिक्षा भी नदारद। यह गांव है बेहटा जंगल के मजरा घूनई नगला। जहां आज भी ग्रामीण मात्र ढाई किलोमीटर की सड़क के लिए तरसते हुए बाह जोट रहे हैं।
मजरा घुरई नगला यह एक ऐसा गांव है जो विकास से कोसों दूर है।आजादी के 78 वर्ष बीत जाने के बाद भी गांव तक जाने के लिए कोई भी सड़क न होने से ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रसव पीड़ा होने पर आज भी चारपाई पर लेट कर अस्पताल जाती हैं महिलाएं
यहां तक कि प्रसव से पीड़ित महिलाओं को चारपाई पर लेट कर अस्पताल जाना एक चुनौतीपूर्ण मजबूरी है ग्रामीणों के लिए। जबकि गांव के बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने काफी दूर तक उबड़-खाबड़ मिट्टी पानी से भरे रास्ते से गुजर कर जाना मजबूरी बन गया है।
गांव के ग्रामीण चार साल पहले गांव की अनदेखी पर पोलियो का बहिष्कार भी कर चुके हैं। लेकिन किसी जनप्रतिनिधि, अधिकारी ने कोई ध्यान नहीं दिया। विकासखंड कलान की ग्राम पंचायत बेहटा जंगल के मजरा घूनई नगला की लगभग ढाई किलोमीटर की लम्बाई एक सड़क के लिए अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रही है।
कच्चे मार्ग पर भी दो-दो फीट के गड्ढे
हां! गांव में वर्षों पूर्व बना मिट्टी का जर्जर रास्ता आज भी मौजूद है। लेकिन उस पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं हुआ है। वर्षो बाद भी गांव तक आने-जाने के लिए आज भी ग्रामीण इसी उबड़-खाबड़ मिट्टी पानी भरे रास्ते से होकर जाते हैं। वहीं] सड़क निर्माण न होने से कच्चे मार्ग पर भी दो-दो फीट के गड्ढे हैं। अब ऐसे में ग्रामीणों को आपातकालीन स्थिति में इसी जर्जर सड़क से होकर गुजरना पड़ता है।
गांव की समस्या पर प्रदेश महासचिव कांग्रेस कमेटी पिछड़ा वर्ग डाॅ०मोहित शर्मा ने कहा गांव के विकास को लेकर उन्होंने मुद्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि गांव को बसे हुए 100 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन अभी तक किसी भी जनप्रतिनिधि ने गांव के लिए सड़क निर्माण नहीं कराया।
उन्होंने आक्रोशित होते हुए कहा कि यदि शासन प्रशासन ने नहीं सुना तो धरने पर बैठूंगा। जबकि खंड विकास अधिकारी कलान मुन्नालाल मिश्रा बोले सड़क निर्माण न होने का मामला उनके संज्ञान में नहीं है। उन्होंने कहा बेहटा जंगल ग्राम पंचायत में छ: सात गांव हैं। जांच कर निर्माण कार्य कराया जाएगा।