ओकिनावा डाइट से बढ़ती है उम्र, जापान में सबसे ज्यादा ले रहे, ह्रदय से जुड़े रोग भी होंगे कम

ओकिनावा डाइट: जापान की दीर्घायु डाइट को भारतीय थाली में कैसे अपनाएं

संगीता यादव। यदि आप सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं, तो आपने जापान के उन्नत तकनीकी नवाचारों के बारे में जरूर सुना होगा। जापान के वेंडिंग मशीनों, सेल्फ-हीटिंग टेकआउट मील्स, और उन्नत सार्वजनिक शौचालयों से लेकर J-Beauty तक, यह देश अपने नवीनतम आविष्कारों से सभी को चौंका रहा है।

इन तकनीकी प्रगति के अलावा, जापान स्वस्थ जीवनशैली के लिए भी दुनिया को सिखा रहा है, और इसी के तहत ओकिनावा डाइट काफी लोकप्रिय हो रही है।

ओकिनावा डाइट क्या है?

ओकिनावा डाइट की उत्पत्ति के बारे में बात करते हुए आर्टेमिस अस्पताल, गुड़गांव की टीम लीडर, क्लीनिकल न्यूट्रिशन और डायटेटिक्स, अंशुल सिंह बताती हैं, “यह जापान के ओकिनावा क्षेत्र से आती है, जो दुनिया में सबसे अधिक जीवन प्रत्याशा दरों वाले क्षेत्रों में से एक है।”

यह डाइट मुख्य रूप से पौधों पर आधारित होती है, जिसमें सब्जियाँ, साबुत अनाज, सोया उत्पाद और मछली का सीमित सेवन शामिल होता है। सिंह आगे बताती हैं, “यह डाइट अपने लंबे जीवन और ओकिनावन के बीच कम पुरानी बीमारियों के कारण लोकप्रिय हुई। इसका ध्यान पोषक तत्वों से भरपूर, कम कैलोरी वाले खाद्य पदार्थों पर होता है, जिनमें उच्च एंटीऑक्सीडेंट होते हैं।”

डाइट की सरलता और पूरे खाद्य पदार्थों पर जोर इसे समग्र स्वास्थ्य में सुधार के लिए एक बेहतरीन विकल्प बनाता है।

ओकिनावा डाइट के दो रूप
विशेषज्ञ ईशांका वाही, न्यूट्रिशनिस्ट और ‘ईट क्लीन विद ईशांका’ की संस्थापक बताती हैं कि ओकिनावा डाइट के दो प्रकार होते हैं: पारंपरिक और आधुनिक।

  1. कार्बोहाइड्रेट्स: पारंपरिक ओकिनावा डाइट में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, विशेष रूप से शकरकंद से। आधुनिक डाइट में परिष्कृत कार्ब्स और मीठे आलू की खपत में कमी आई है।
  2. प्रोटीन: पहले प्रोटीन मुख्य रूप से पौधों से प्राप्त होता था, जैसे टोफू और थोड़ी मात्रा में मछली। आधुनिक डाइट में अधिक पशु प्रोटीन, विशेष रूप से सूअर का मांस शामिल हो गया है।
  3. वसा: पारंपरिक डाइट में वसा की मात्रा कम होती है, जो ज्यादातर पौधों और मछली के तेल से प्राप्त होती है। आधुनिक डाइट में संतृप्त वसा की मात्रा बढ़ गई है, खासकर मांस और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों से।

क्या खाएं?

ओकिनावा डाइट में मुख्य खाद्य पदार्थों में शकरकंद, करेला, समुद्री शैवाल, टोफू और मिसो (किण्वित सोयाबीन) शामिल होते हैं। इस डाइट में हरी और पीली सब्जियां, साबुत अनाज जैसे चावल और बाजरा, और सीमित मात्रा में मछली शामिल होती है, जो ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होती है। सूअर का मांस कभी-कभार और कम मात्रा में खाया जाता है।

हालांकि, कुछ खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए, जैसे प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, परिष्कृत चीनी, और अत्यधिक मात्रा में मांस और डेयरी।

ओकिनावा डाइट के लाभ
जैसा कि ओकिनावा की जनसंख्या लंबे जीवनकाल के लिए जानी जाती है, इस डाइट का सबसे बड़ा लाभ यही है कि यह दीर्घायु को बढ़ावा देती है। पोषक तत्वों से भरपूर भोजन पर ध्यान केंद्रित करने से हृदय रोगों का जोखिम भी कम हो जाता है।

वहीं, वजन घटाने के लिए भी यह डाइट लोकप्रिय है, क्योंकि इसमें कम कैलोरी और अधिक फाइबर होते हैं। इसके अलावा, इस डाइट में एंटीऑक्सीडेंट की उच्च मात्रा होती है, जो उम्र बढ़ने से रोकने में मदद करती है और शरीर को उसके प्रभाव से बचाती है।

क्या यह भारतीय थाली के लिए सही है?

विशेषज्ञ ईशांका वाही मानती हैं कि ओकिनावा डाइट को स्थानीय भारतीय सामग्री के साथ आसानी से अनुकूलित किया जा सकता है। यहाँ कुछ उपाय दिए गए हैं:

  1. कार्बोहाइड्रेट्स: भारतीय शकरकंद या सामान्य आलू का सेवन संतुलित मात्रा में करें।
  2. सब्जियाँ: पालक, मेथी, सरसों के पत्ते और सहजन के पत्ते जैसे भारतीय साग का उपयोग करें।
  3. दालें और फलियाँ: ओकिनावा डाइट के प्रोटीन और फाइबर घटकों को ध्यान में रखते हुए दालों और फलियों को शामिल करें, जैसे मूंग दाल, चने, और राजमा।
  4. साबुत अनाज: परिष्कृत चावल या गेहूं की जगह साबुत अनाज जैसे ब्राउन राइस, बाजरा, रागी और क्विनोआ का उपयोग करें।
  5. फल: विदेशी फलों की बजाय स्थानीय और मौसमी फलों का सेवन करें, जैसे अमरूद, पपीता, अनार और जामुन।
  6. मसाले और स्वाद: हल्दी, अदरक, लहसुन और जीरे जैसे मसाले का उपयोग करें, जो स्वाद के साथ-साथ एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण भी प्रदान करते हैं।
  7. प्रोटीन स्रोत: दालें, बीज, और टोफू या पनीर (संतुलित मात्रा में) प्रोटीन के अच्छे स्रोत हो सकते हैं। अगर आप मछली खाते हैं, तो भारतीय बाजार में मिलने वाली मैकरल और सार्डिन जैसी मछलियों का सेवन करें।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि ओकिनावा डाइट के सिद्धांतों पर ध्यान दें, जैसे ‘हारा हाची बु’ यानी पेट 80% भरने तक खाना खाना, और हिस्सों पर नियंत्रण रखना।

संक्षेप में, ओकिनावा डाइट को भारतीय थाली में शामिल किया जा सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य पोषक तत्वों से भरपूर, प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का सेवन करना और इस प्रक्रिया में पर्याप्त प्रोटीन सुनिश्चित करना है।

Leave a Comment

Read More

Read More