जो कहते थे नचनियां आज के उन्हीं के बच्चों को सिखाती हूं, मैंने फिल्पकार्ट के लिए भी मॉडलिंग की

जो कहते थे नचनियां आज के उन्हीं के बच्चों को सिखाती हूं, मैंने फिल्पकार्ट के लिए भी मॉडलिंग की

संगम यादव।
बदायूं उत्तर प्रदेश की रहने वाली सिम्मी की कहानी संघर्ष, हिम्मत और आत्मविश्वास की मिसाल है। सिर्फ 15 साल की उम्र में पिता को खोने के बाद, सिम्मी के जीवन में चुनौतियों का पहाड़ खड़ा हो गया। 12 बहनों में से 10वें नंबर की थी।
इस मुश्किल समय में छह बहनों की शादी हो चुकी थी। लेकिन बाकी परिवार का भार सिम्मी के कंधों पर आ गया था। पिता की मौत ने परिवार को एक ऐसा झटका दिया। जिससे उबरना आसान नहीं था। लेकिन सिम्मी ने हार मानने के बजाय अपने सपनों का पीछा करने का दृढ़ संकल्प लिया।

शुरुआत में आई मुश्किलें और शुरुआती काम
सिम्मी को भावनात्मक और आर्थिक दोनों तरह की चुनौतियों से जूझने पर मजबूर कर दिया। परिवार का खर्चा चलाने के लिए उसे जल्द ही काम ढूंढ़ना पड़ा। महज 1500 रुपये की तनख्वाह पर उसने एक छोटे से कोचिंग सेंटर में रिसेप्शनिस्ट की नौकरी शुरू की। यह उसकी पहली नौकरी थी। यहीं से उसके संघर्ष का असली सफर शुरू हुआ। इतने कम वेतन में वह अपने और अपने परिवार का खर्च उठाने की कोशिश करती रही।

यह काम उसके लिए आसान नहीं था। एक किशोरी होने के नाते, उसे अपनी उम्र से कहीं ज्यादा जिम्मेदारियों का बोझ उठाना पड़ा। लेकिन सिम्मी के अंदर एक अलग सी दृढ़ता और हिम्मत थी। वह जानती थी कि अगर उसे अपनी जिंदगी में कुछ बड़ा करना है, तो उसे मेहनत और कठिनाइयों का सामना करना ही पड़ेगा।

डांस की ओर पहला कदम

रिसेप्शनिस्ट की नौकरी के दौरान सिम्मी ने महसूस किया कि उसे डांस में गहरी रुचि है। जब भी वह खाली समय में होती, तो डांस के बारे में सोचती और डांस सीखने का सपना देखती। आखिरकार, उसने अपने सपने को हकीकत में बदलने का फैसला किया। अपने सीमित संसाधनों के बावजूद, उसने किसी तरह से डांस की ट्रेनिंग शुरू की। शुरू में, लोग उसका मजाक उड़ाते थे और उसे ‘नचनिया’ कहकर ताने देते थे।

लेकिन सिम्मी ने इन तानों को खुद पर हावी नहीं होने दिया। उन्होंने डांस को एक कला के रूप में देखा और इसे एक करियर बनाने का सपना संजोया। समाज के ताने, लोगों की बातों, और आर्थिक तंगी के बावजूद, उसने डांस को अपना पैशन बना लिया।

लोगों की आलोचना का सामना और आत्मविश्वास की जीत

डांस सीखते हुए सिम्मी को लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। उसे न केवल समाज के तानों का सामना करना पड़ा, बल्कि आर्थिक तंगी के कारण भी उसे कई बार कठिन फैसले लेने पड़े। लेकिन सिम्मी का आत्मविश्वास इतना मजबूत था कि उसने किसी भी नकारात्मकता को खुद पर हावी नहीं होने दिया।

वह मानती थी कि अगर उसे कुछ बड़ा करना है, तो उसे अपनी मेहनत और लगन से दुनिया को दिखाना होगा कि वह किसी से कम नहीं है। धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग लाई। वह एक बेहतर डांसर बनने लगी, और जिन लोगों ने उसे ‘नचनिया’ कहा था, वे अब उसकी तारीफ करने लगे थे। सबसे दिलचस्प बात यह है कि जो लोग उसे पहले ताने मारते थे, आज उनके बच्चे सिम्मी से डांस सीखने आते हैं।

एक पावरफुल डांसर के रूप में उभरना

सिम्मी ने जब डांस में महारत हासिल कर ली, तो उसे विभिन्न प्लेटफार्मों पर अपनी कला का प्रदर्शन करने का मौका मिला। वह कई डांस प्रतियोगिताओं में भाग लेने लगी और अपनी प्रतिभा के दम पर उन्होंने कई अवॉर्ड जीते। यह सिर्फ उसकी मेहनत और जुनून का नतीजा था कि अब वह एक पावरफुल डांसर के रूप में पहचानी जाती है।

उसकी डांस शैली में जोश और शक्ति की झलक मिलती है, और यही बात उसे दूसरों से अलग बनाती है। उसने अपने डांस के जरिए अपनी कहानी को व्यक्त किया, और उसकी कहानी ने भी कई लोगों को प्रेरित किया। उसकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

अवार्ड्स और पहचान

सिम्मी को अपनी मेहनत का फल मिलना शुरू हुआ। डांस की दुनिया में उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। अब वह सिर्फ अपने इलाके में ही नहीं, बल्कि बड़े मंचों पर भी पहचानी जाती हैं। उनकी कला को सराहा गया और उन्हें कई प्रतिष्ठित अवार्ड भी मिले। आज वह एक रोल मॉडल हैं, खासकर उन लड़कियों के लिए जो छोटे शहरों से आती हैं और जिनके सामने सीमित संसाधन और कठिनाइयां होती हैं।

सिम्मी की कहानी से सीख

सिम्मी की कहानी उन लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है, जो समाज की आलोचनाओं और कठिनाइयों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहती हैं। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर आपके पास जुनून, मेहनत और आत्मविश्वास है, तो आप किसी भी मुश्किल को पार कर सकते हैं।

सिम्मी आज उस मुकाम पर हैं जहां वह अपने पैरों पर खड़ी हैं, और वह समाज को दिखा चुकी हैं कि लड़कियां किसी से कम नहीं होतीं। उन्होंने साबित किया कि ‘नचनिया’ कहे जाने के बावजूद, अगर आप अपनी काबिलियत को साबित कर देते हैं, तो वही लोग आपको सम्मान देने लगते हैं।

सिम्मी की यात्रा संघर्ष, दृढ़ता और सफलता की एक ऐसी प्रेरक कहानी है, जिसे हर युवा को सुननी और समझनी चाहिए। उनके इस सफर ने यह साबित कर दिया कि अगर आप कुछ करने की ठान लें, तो परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हैं।

जिन लोगों ने नचनियां कहा उन्हीं के बच्चों को अब डांस सिखाती हूं

सिम्मी नाजिर का कहना है जो लोग संघर्ष के समय नचनियां कहकर आलोचना करते थे, आज उन्हीं के बच्चों को डांस सिखाती हूं। अब यह लोगों के लिए करारा जबाब है। उनका कहना है यहां तक पहुंचने में उनकी बहनों और बहनोईयों का योगदान है। इस समय वह एक स्कूल में डांस सिखाती हूं।

कई बड़े शहरों में मॉडलिंग की

फिल्पकार्ट, अमेजन कई बड़ी कंपनियों के साथ कई बड़े शहरों जयपुर, दिल्ली, चंड़ीगढ़ सहित कई स्थानों पर डांस परफार्म और मॉडिलंग शो करके अवार्ड प्राप्त किए हैं। जो मेरी जिंदगी के अहम हिस्से हैं। भारत स्काउटिंग की तरफ से कई बड़े पुरस्कार मिल चुक हैं।

ये थी बदायूं शहर के चूनामंडी की सिम्मी नाजिर की कहानी। अगर ऐसे ही किसी आप या आपके पड़ोस में संघर्ष की किसी की कहानी है। तो कृपया हमें बताएं। इसके लिए आप हमारे मेल पर अपनी डिटले फोटो एवं वीडियो सहित शेयर करें। हमारा मेल है;- dainikujalaup@gamil.com इस खबर का ब्रीफिंग के साथ मेन कंटेंट लेते हुए एक पांच वीडियो के लिए वॉइस ओवर चाहिए

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