दैनिक उजाला 24। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद शुक्रवार सुबह क्नॉट प्लेस के हनुमान मंदिर पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल, आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया और संजय सिंह भी मौजूद थे। इस मौके पर केजरीवाल और उनकी पत्नी ने भगवान हनुमान को जल अर्पित किया और पुजारी ने उन्हें गदा और चुन्नी भेंट की।
केजरीवाल ने मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद राजघाट का रुख किया, जहां उन्होंने महात्मा गांधी के समाधि स्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
दिल्ली शराब नीति से जुड़े केस में जमानत मिलने के बाद मनीष सिसोदिया और संजय सिंह भी इसी हनुमान मंदिर में पूजा कर चुके हैं। इससे पहले, केजरीवाल ने 2 जून को सरेंडर से पहले भी इस मंदिर में दर्शन किए थे।
केजरीवाल के इस दौरे को उनके राजनीतिक जीवन और धार्मिक आस्था के मेल के रूप में देखा जा रहा है।
केजरीवाल का मंदिर में जाना: राजनीतिक या व्यक्तिगत आस्था?
अरविंद केजरीवाल का धार्मिक स्थलों पर जाना नई बात नहीं है। इससे पहले भी जब आम आदमी पार्टी के नेताओं को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, तब भी केजरीवाल हनुमान मंदिर में पूजा करते नजर आए हैं। उनके साथ मनीष सिसोदिया और संजय सिंह का भी हनुमान मंदिर में पूजा करना इस बात का संकेत है कि ये मंदिर दौरे व्यक्तिगत आस्था के साथ-साथ एक राजनीतिक संदेश भी हैं। राजनीतिक विश्लेषक इसे उनकी छवि सुधारने और जनता के बीच उनकी सादगी और धार्मिकता को प्रदर्शित करने का एक साधन मानते हैं।
जेल से बाहर आने के बाद कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे दिल्ली सीएम
जेल से बाहर आने के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच पहुँचा। https://t.co/BVeL8mlR5j
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) September 13, 2024
यह दौरा ऐसे समय पर हुआ है जब दिल्ली शराब नीति केस में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह को पहले ही जमानत मिल चुकी है। इसके बाद अरविंद केजरीवाल का भी जेल से रिहा होना एक बड़ी घटना थी। मंदिर में पूजा कर केजरीवाल ने एक बार फिर यह जताया कि वे अपनी आस्था और धार्मिकता को अपने राजनीतिक जीवन में भी महत्व देते हैं।
मंदिर में पूजा और जमानत के बाद का सन्देश
जेल से बाहर आते ही अरविंद केजरीवाल का यह बयान भी ध्यान आकर्षित करने वाला था, जिसमें उन्होंने कहा कि “सच्चाई की जीत हुई है” और भगवान ने उन्हें सही रास्ता दिखाया। उनका कहना था कि वे राष्ट्रविरोधी ताकतों के खिलाफ डटकर लड़ेंगे, जो देश को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं। यह बयान न केवल उनके राजनीतिक दृष्टिकोण को दर्शाता है, बल्कि उनकी धार्मिक आस्था को भी बल देता है, जिसे उन्होंने हनुमान मंदिर जाकर और शिवलिंग पर जल चढ़ाकर व्यक्त किया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा उन्हें शराब नीति से जुड़े केस में जमानत मिलने के बाद उन्होंने जेल से बाहर आकर खुद को और भी मजबूत बताया। “मेरे हौसले 100 गुना बढ़ गए हैं,” यह बयान बताता है कि जेल का समय उनके लिए कितना महत्वपूर्ण था और कैसे इसने उनके संघर्ष को और मजबूत किया।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला और जमानत की जटिलताएं
अरविंद केजरीवाल की रिहाई सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की बेंच ने दिल्ली शराब नीति केस में उनकी गिरफ्तारी को नियमों के तहत बताया, लेकिन जमानत की शर्तें वही रहीं जो ED केस में थी। जस्टिस भुइयां की यह टिप्पणी कि CBI की गिरफ्तारी “जवाब से ज्यादा सवाल खड़े करती है” इस बात की ओर इशारा करती है कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कई सवाल उठते हैं।
केजरीवाल ने इस कानूनी लड़ाई के बावजूद जनता के बीच अपनी छवि को बरकरार रखने के लिए मंदिर दौरे जैसे कदम उठाए। यह दिखाता है कि उनका फोकस सिर्फ कानूनी जीत पर नहीं, बल्कि जनता के बीच एक सशक्त छवि बनाने पर भी है।
केजरीवाल का जेल का समय और भविष्य की राह
अरविंद केजरीवाल ने जेल में 156 दिन बिताए, जो उनके राजनीतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बना। इस दौरान उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने इसे अपने लिए एक सकारात्मक अवसर के रूप में देखा। जेल से बाहर आते ही उनका पहला कदम मंदिर में पूजा करना था, जिससे उन्होंने अपने राजनीतिक समर्थकों और विरोधियों को एक स्पष्ट संदेश दिया कि वे अब और भी मजबूत होकर वापस लौटे हैं।
उनकी यह यात्रा बताती है कि केजरीवाल न केवल कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, बल्कि एक बड़ी राजनीतिक लड़ाई के लिए भी तैयार हो रहे हैं। उनका मंदिर दौरा उनके समर्थकों के बीच एक सकारात्मक संदेश भेजने के लिए था, जिसमें वे यह दिखाना चाहते थे कि वे आस्था और सच्चाई की राह पर चल रहे हैं।
निष्कर्ष: सियासत और धार्मिक आस्था का मेल
अरविंद केजरीवाल की तिहाड़ जेल से रिहाई और उसके बाद का मंदिर दौरा सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि इसमें गहरे राजनीतिक संदेश भी छिपे हुए थे। यह कदम उनके समर्थकों के बीच उनकी सादगी और धार्मिक आस्था को मजबूत करने के लिए था। साथ ही, उन्होंने यह भी संदेश दिया कि वे कानूनी चुनौतियों से घबराने वाले नहीं हैं, बल्कि इन चुनौतियों को अपनी राजनीतिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं।
केजरीवाल का यह दौरा इस बात का प्रतीक है कि वे आने वाले समय में और भी सशक्त होकर राजनीतिक मैदान में उतरने वाले हैं। उनका मंदिर दौरा और धार्मिकता का प्रदर्शन, राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण समय पर किया गया एक कदम था, जिससे उनकी छवि को और मजबूत बनाने की कोशिश की गई।