दैनिक उजाला 24। दिल्ली की राजनीति में बड़ा बदलाव आने वाला है। आतिशी जिन्हें हाल ही में दिल्ली का मुख्यमंत्री चुना गया है। 21 सितंबर को अपने पद की शपथ लेंगी। उनके साथ ही नई कैबिनेट के सदस्य भी शपथ ग्रहण करेंगे। कैबिनेट में एक नया चेहरा मुकेश अहलावत होगा। जो सामाजिक न्याय मंत्री राजकुमार आनंद की जगह लेंगे।
मुकेश अहलावत दिल्ली के सुल्तानपुर माजरा से विधायक हैं और आम आदमी पार्टी (AAP) के दलित चेहरे के रूप में जाने जाते हैं। यह बदलाव सामाजिक संतुलन को ध्यान में रखते हुए किया गया है, जिससे पार्टी को विभिन्न समुदायों से समर्थन मिल सके।

कैबिनेट में कौन होंगे शामिल?
आतिशी की नई कैबिनेट में गोपाल राय, कैलाश गहलोत, सौरभ भारद्वाज और इमरान हुसैन जैसे पुराने और अनुभवी चेहरे बरकरार रहेंगे। सातवें मंत्री के नाम की घोषणा अभी नहीं की गई है। जिसे लेकर सियासी गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं।
आतिशी के पास पहले से ही वित्त, पीडब्ल्यूडी और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी है। कैबिनेट के अन्य सदस्यों में गोपाल राय के पास पर्यावरण और सामान्य प्रशासन, सौरभ भारद्वाज के पास स्वास्थ्य और शहरी विकास जबकि कैलाश गहलोत के पास परिवहन और महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी रहेगी। इमरान हुसैन खाद्य और आपूर्ति मंत्री के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे।
आतिशी की राजनीतिक यात्रा
आतिशी ने आम आदमी पार्टी के गठन के समय से ही सक्रिय भूमिका निभाई है। 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के मेनिफेस्टो ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य रहीं और समय के साथ पार्टी की प्रमुख प्रवक्ता बनीं। 2023 में शराब नीति मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद उन्हें दिल्ली कैबिनेट में शामिल किया गया।
नई मुख्यमंत्री के सामने कई चुनौतियां होंगी। क्योंकि उन्हें दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सत्ता बनाए रखने और 2025 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी का नेतृत्व करने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है।
केजरीवाल ने इस्तीफा देकर क्यों लिया यह बड़ा फैसला?
अरविंद केजरीवाल ने 17 सितंबर को विधायक दल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसके पीछे तीन मुख्य कारण बताए जा रहे हैं:
- पावर की कमी: शराब नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट की शर्तों के चलते केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद पर रहते हुए भी कार्यालय से दूर रहना पड़ा।
- कम बचा हुआ कार्यकाल: विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में समाप्त हो रहा है। ऐसे में केजरीवाल ने इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी को समय से पहले चुनाव के लिए तैयार करने की योजना बनाई है।
- ईमानदार छवि बनाए रखना: भाजपा द्वारा लगातार मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग के बाद। केजरीवाल ने अपनी ईमानदारी की छवि को बनाए रखने के लिए यह कदम उठाया।
भविष्य की रणनीति, हरियाणा चुनाव पर फोकस
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल का पूरा ध्यान अब हरियाणा विधानसभा चुनावों पर होगा। वे आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक बने रहेंगे और पार्टी के चुनावी प्रचार में अहम भूमिका निभाएंगे।
हरियाणा में AAP सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। और केजरीवाल खुद हरियाणा के सिरसा जिले से आते हैं। जिससे पार्टी को राज्य में बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है। इसके अलावा वे झारखंड और महाराष्ट्र के आगामी चुनावों पर भी ध्यान केंद्रित करेंगे।
आतिशी का मुख्यमंत्री बनना एक बड़ा घटनाक्रम है। जो न केवल AAP के लिए महत्वपूर्ण है। बल्कि दिल्ली की जनता के लिए भी। उनकी नई कैबिनेट में अनुभव और नवाचार का मिश्रण है। जो आगामी चुनावों में पार्टी को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान कर सकता है।
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