संचित जैन। स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय में पंडित दीन दयाल उपाध्याय जयंती से गांधी जयंती तक चलने वाली सात दिवसीय विचार श्रृंखला कार्यक्रम के अंतर्गत एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसका विषय “राष्ट्रीय स्वाधीनता आंदोलन में शाहजहांपुर का योगदान” था, जिसका आयोजन महाविद्यालय के इतिहास विभाग के तत्वावधान में किया गया। इस अवसर पर कई विद्वानों और प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया और अपने विचार साझा किए।

शाहजहांपुर का अपरिमित योगदान
मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित कृषि वैज्ञानिक एवं जनपद रत्न डॉ. सुरेश मिश्रा ने शाहजहांपुर के स्वाधीनता संग्राम में अहम योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि काकोरी काण्ड के बाद शाहजहांपुर का नाम विश्वभर में छा गया था। इसके साथ ही, 1857 की क्रांति के दौरान 28वीं नेटिव इंफ्रेंट्री की पहली बटालियन ने जवाहर राय के नेतृत्व में क्रांति की शुरुआत की थी।
शहीदों की धरती शाहजहांपुर
गोष्ठी में शहीद निजाम अली खां के प्रपौत्र तसनीम अली खां ने शाहजहांपुर को शहीदों की धरती बताया। उन्होंने बताया कि शाहजहांपुर के चारों ओर अमर शहीदों की मजारें हैं, जिनमें मौलवी अहमद उल्लाह शाह, निजाम अली, और अशफाक उल्लाह खान जैसे महान क्रांतिकारियों की कब्रें शामिल हैं, जो इस शहर को एक तीर्थ स्थल जैसा बनाती हैं।
कविता और इतिहास पर चर्चा
कार्यक्रम के दौरान, प्रसिद्ध कवि इंदु अजनबी ने अपनी रचना “शत-शत नमन काकोरी” सुनाकर छात्रों को प्रेरित किया और भरपूर तालियां बटोरीं। इसके अतिरिक्त, मुमुक्षु संकुल अधिष्ठाता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने इतिहास विभाग को जिले के गौरवशाली इतिहास को पुनः लिपिबद्ध करने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने सांस्कृतिक गौरव से जुड़ सकें।
अन्य वक्ता और कार्यक्रम का संचालन
कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने की, जबकि विषय प्रवेश डॉ. विकास खुराना ने करवाया। संचालन डॉ० अनुराग अग्रवाल द्वारा किया गया और अंत में आभार व्यक्त प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार आजाद ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के कई प्राध्यापक, छात्रों और स्थानीय लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।