राजस्थान के जैसलमेर से संगम यादव की रिपोर्ट
कुलधरा गांव जो राजस्थान के जैसलमेर के पास स्थित है। एक रहस्यमयी और भूतिया स्थल के रूप में जाना जाता है। यह गांव कभी पालीवाल ब्राह्मणों का समृद्ध निवास स्थान था। लेकिन 19वीं सदी के आरंभ में अचानक एक ही रात में वीरान हो गया। इसके पीछे की वजह आज तक एक रहस्य बनी हुई है। ये सब हम बारी-बारी से बताएंगे। इससे पहले यह जानना जरूरी है कि अब क्या हालात हैं….

रात में ठहरने की अनुमति नहीं, गांव का हाल देखने के लिए हजारो पर्यटक पहुंच कर लेते हैं आनंद
आज कुलधरा एक प्रमुख पर्यटन स्थल बन चुका है। जहां देश और विदेश हर साल हजारों पर्यटक आते हैं। यह गांव जैसलमेर से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित हैं। यहां तक पहुंचने के लिए एक छोटी सी सड़क बनाई गई है। गांव के खंडहर और वीरानगी आज भी उस समय की समृद्धि और उसकी दुर्दशा की गवाही देती है। लोगों को मानना है आज के समय में भी यहां आत्माएं भटकती हैं। इसलिए शाम होते-होते यहां कोई दिखाई देता है।
वर्तमान में राजस्थान सरकार ने इस स्थान को संरक्षित स्थल घोषित कर दिया है और यहां रात में ठहरने की अनुमति नहीं है। पर्यटकों को केवल दिन में ही गांव का दौरा करने की इजाजत है। इसके बावजूद कुलधरा की रहस्यमयी कहानियां और भूतिया घटनाएं इसे एक विशेष आकर्षण का केंद्र बनाती हैं।

कुलधरा संपन्न और समृद्धशाली गांव था, एक ही रात में हो गया वीरान
कुलधरा का इतिहास लगभग 13वीं सदी से शुरू होता है। जब यहां पालीवाल ब्राह्मणों का निवास था। पालीवाल ब्राह्मण उस समय के प्रतिष्ठित समुदायों में से एक थे। जो अपनी व्यापारिक कुशलता और खेती की उन्नत तकनीकों के लिए जाने जाते थे। जैसलमेर के आसपास के अन्य गांवों की तरह कुलधरा भी एक समृद्ध और खुशहाल गांव था। इस क्षेत्र में पालीवाल ब्राह्मणों के कुल 84 गांव थे। जिनमें से कुलधरा सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण माना जाता था।
पालीवाल ब्राह्मण अपने समय से बहुत आगे की सोच रखने वाले लोग थे। उन्होंने रेगिस्तानी इलाके में पानी के संरक्षण और खेती के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया था। कुलधरा में पानी की कमी नहीं थी। क्योंकि पालीवालों ने जल प्रबंधन की कला में महारत हासिल कर ली थी। इस कारण से गांव आर्थिक रूप से संपन्न था और यहां की आबादी बढ़ रही थी।
एक ऐसी घटना 84 गांवों को रातोरात खाली करा दिया
कुछ लोगों के अनुसार जैसलमेर के तत्कालीन मंत्री, सलिम सिंह, जो एक क्रूर और भ्रष्ट शासक था। उसने गांव की एक सुंदर लड़की से जबरन शादी करने का प्रयास किया। जब यह धमकी दी गई कि अगर उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई तो वह गांववासियों पर भारी कर लगाएगा। तब पालीवाल ब्राह्मणों ने अपनी बेटी की सुरक्षा और आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए गांव छोड़ने का निर्णय लिया। तब से यह गांव वीरान है। आइए, कुलधरा के इस अजीबोगरीब रहस्य और इसके पीछे छिपी कहानियों पर एक नजर डालते हैं।

एक मंत्री की वजह से बन गया वीरात हुआ गांव
इसके पीछे सबसे प्रचलित कहानी यह है कि जैसलमेर का तत्कालीन मंत्री सलिम सिंह, जो अत्यंत क्रूर और भ्रष्ट शासक था। वह बहुत अय्यास और क्रूर था। गांवों की सुंदर लड़कियों के साथ दुष्कर्म करता था। एक दिन गांव की एक सुंदर लड़की पर मोहित हो गया था। वह उस लड़की से जबरन शादी करना चाहता था और उसने गांववालों को धमकी दी थी कि अगर उसकी इच्छा पूरी नहीं हुई तो वह पूरे गांव पर भारी कर लगा देगा और उन्हें प्रताड़ित करेगा। पालीवाल ब्राह्मण स्वाभिमानी और अनुशासनप्रिय थे। इसलिए उन्होंने अपनी बेटी की सुरक्षा के लिए गांव छोड़ने का फैसला किया।
यह कहा जाता है कि एक ही रात में सभी 84 गांवों के लोग अपने घरों को छोड़कर चले गए और कभी वापस नहीं आए। लेकिन जाते-जाते उन्होंने गांव पर श्राप छोड़ दिया कि यहां कोई कभी बस नहीं सकेगा। इस कारण से, आज भी कुलधरा को भूतिया गांव के रूप में देखा जाता है और यहां रात में कोई नहीं ठहरता। लोगों का मानना है कि जो भी रात में इस गांव में रुकने की कोशिश करता है। उसे अजीबोगरीब और डरावने अनुभव होते हैं।

लोगों का मानना पालीवाल ब्राह्मणों की आत्माएं भटकतीं
कुलधरा आज एक खंडहर के रूप में जाना जाता है, और यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है। यह स्थान अपने रहस्यमयी और भूतिया अनुभवों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां आने वाले पर्यटकों ने कई बार दावा किया है कि उन्होंने गांव में अजीब आवाजें सुनी हैं। उन्हें किसी के चलने की आहट महसूस हुई है। और कभी-कभी तो गांव के खंडहरों में असामान्य घटनाएं भी देखी गई हैं। स्थानीय लोगों का मानना है कि गांव के चारों ओर आज भी पालीवाल ब्राह्मणों की आत्माएं भटकती हैं।
यहां तक कि कई भूत-प्रेत शोधकर्ताओं ने भी कुलधरा का दौरा किया है और इस स्थान को “हॉन्टेड” घोषित किया है। कुछ लोगों का दावा है कि रात के समय यहां किसी अदृश्य शक्ति की उपस्थिति महसूस होती है। हालांकि, इन दावों को आज तक वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं किया जा सका है। लेकिन यह गांव हमेशा से ही रहस्य और भूतिया कहानियों का केंद्र रहा है।

कुलधरा के लोग गांव क्यों छोड़कर अभी भी रहस्य
इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के बीच इस बात पर काफी मतभेद हैं कि कुलधरा के लोग गांव क्यों छोड़कर चले गए। कुछ का मानना है कि जैसलमेर के तत्कालीन शासकों द्वारा लगाए गए अत्यधिक कर और उत्पीड़न के कारण पालीवाल ब्राह्मणों को गांव छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। वहीं, कुछ लोग मानते हैं कि पानी की कमी और अकाल जैसी प्राकृतिक आपदाओं के कारण गांववासी पलायन करने को मजबूर हुए होंगे।
पालीवाल ब्राह्मणों की कृषि और जल संरक्षण की उन्नत तकनीकें उनकी समृद्धि की गवाह हैं लेकिन प्राकृतिक आपदाओं के सामने उनका टिक पाना मुश्किल हो गया होगा। इसके अलावा, जैसलमेर क्षेत्र में लगातार हो रहे युद्धों और शासकीय उत्पीड़न ने भी पालीवालों को गांव छोड़ने के लिए मजबूर किया होगा।
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