मिर्जापुर-शाहजहांपुर । गंगा और रामगंगा की बाढ़ ने क्षेत्र की खरीफ की फसलें पहले ही बर्बाद कर दी थीं, लेकिन दो दिन से हो रही लगातार बारिश ने किसानों की बची-खुची उम्मीदों को भी खत्म कर दिया। फसलें तबाह हो जाने से किसान गहरे सदमे में हैं और उनकी मेहनत व्यर्थ हो गई है।
मिर्जापुर क्षेत्र के ग्राम पहरुआ निवासी किसान उदयवीर ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए कहा कि भारी लागत और दिन-रात की मेहनत से उगाई गई धान की फसल को छुट्टा पशुओं और बंदरों से बचाने में तो कामयाब रहे, लेकिन बाढ़ और बारिश ने उनकी फसलें बर्बाद कर दीं। अब उनके परिवार के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है।
वहीं, मिर्जापुर के निकट नई बस्ती टेढ़ा निवासी धनपाल वर्मा ने कहा कि उन्होंने रामगंगा की कटरी में करीब 60 बीघा खेत में उर्द और तिल की फसल बोई थी, जो बाढ़ के पानी में डूबकर नष्ट हो गई। ऊंचाई वाले खेतों में उगाई गई धान, ज्वार और बाजरा की फसलें भी तेज हवा और बारिश के कारण जमीन पर गिर गईं, जिससे पूरी फसल चौपट हो गई।
इसी तरह ग्राम कुतुलुपुर भाग मिर्जापुर निवासी इबरार ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि पहले बाढ़ के पानी में डूबी उनकी आठ बीघा धान की फसल से कुछ उम्मीद बची थी, लेकिन अब तेज हवाओं और बारिश ने वह भी खत्म कर दी।
क्षेत्र के कई किसानों ने मायूस होकर कहा कि खेती की बढ़ती लागत, छुट्टा पशुओं और बंदरों से फसलों की सुरक्षा, और प्रतिवर्ष आने वाली बाढ़ और अतिवृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं ने उनकी खेती से मोहभंग कर दिया है। पुराने किसान किसी तरह खेती करते जा रहे हैं, लेकिन नई पीढ़ी अब अन्य राज्यों में मजदूरी करने को प्राथमिकता दे रही है। ऐसे में किसानों के लिए खेती अब बोझ बनती जा रही है।