साइबर क्राइम vs सावधानी ही सुरक्षा

लेखक: शैलेन्द्र पांडेय । आज अपराधियों को जोखिम भरे कार्यों की जरूरत नहीं रह गई है। वे साइबर क्राइम के जरिए बगैर किसी बड़ी चुनौती के ठगी कर रहे हैं। साइबर क्राइम में शामिल लोग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को लूट रहे हैं। कहीं गिफ्ट देने का लालच दिया जाता है, तो कहीं लॉटरी के नाम पर लोगों से पैसे ठगे जा रहे हैं। बैंक खातों में जमा सुरक्षित राशि को भी अपराधी बेहद चालाकी से अपने QR कोड पर ट्रांसफर करवा लेते हैं।

साइबर क्राइम के तेजी से बढ़ने के कारण पारंपरिक अपराध जैसे लूट, चोरी, डकैती और अपहरण की घटनाओं में कमी आई है। लगभग 10-15 वर्ष पहले अपराधी पैसों के लिए हथियारों के बल पर इन वारदातों को अंजाम देते थे। जिसमें जोखिम अधिक होता था। अपराध करते समय कभी-कभी अपराधियों को मुठभेड़ में मारा जाता था और पकड़े जाने पर पुलिस की सख्ती का सामना करना पड़ता था। लेकिन आजकल ऑनलाइन बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजैक्शन ने अपराधियों को एक नया रास्ता दिखा दिया है। जहां जोखिम न के बराबर है।

सरकारी तंत्र की चुनौतियां
साइबर अपराधियों को पकड़ना सरकार के लिए चुनौती बन गया है। आईटी सेल और साइबर थानों में तैनात इंजीनियर अपराधियों को पकड़ने में असफल साबित हो रहे हैं। साइबर अपराधी अत्याधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं, और इनसे निपटने में सरकारी तंत्र कमजोर दिख रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि बेरोजगार बीटेक, बीसीए और एमसीए जैसे युवा साइबर क्राइम का सहारा लेकर सरकार के आईटी विशेषज्ञों को चुनौती दे रहे हैं।

जागरूकता का अभाव
साइबर क्राइम के प्रति जागरूकता की कमी ही इसका मुख्य कारण है। पुलिस और आईटी सेल को चाहिए कि वे स्कूलों, सार्वजनिक कार्यक्रमों और गांव-वार्ड स्तर पर जागरूकता गोष्ठियों का आयोजन करें। आम लोगों को यह समझाना जरूरी है कि कोई भी कंपनी, संगठन या व्यक्ति मुफ्त में गिफ्ट या लॉटरी का इनाम देने के लिए खुद संपर्क नहीं करेगा। ये साइबर अपराधी होते हैं जो लालच देकर लोगों को फंसाते हैं।

सावधानी ही सुरक्षा है
आमजन को सतर्क रहना चाहिए। किसी भी अनजान लिंक या फोन कॉल से दूर रहना चाहिए और अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे। तो तुरंत संबंधित विभाग को सूचित करें। जागरूकता और सावधानी ही साइबर क्राइम से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण तरीका है।

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