संबंध कम बनाने से मौत का खतरा ज्यादा, रात की नौकरी करने से हो सकता है कैंसर, बेवफाई से बचने के लिए नर मक्खी अपनी साथी को कर देती है बेहोश

जश्न मनाकर खुश रहें, क्रिसमस के दिन सबसे ज्यादा प्रेंग्नेंट होती हैं महिलाएं, एक कप से ज्यादा कॉफी पीने से हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा

सुप्रभात,

आप और अपनी फैमिली की हेल्थ का ध्यान अच्छे से रख सकें। इसके लिए हम नई रिसर्च लाए हैं। इसमें आप जान सकेंगे कि किस तरह ज्यादा या कम गतिविधि  से हमार सेहत पर क्या असर पढ़ रहा है।  इसमें आपको मिलेंगे प्रमुख हेल्थ अपडेट्स, महत्वपूर्ण रिसर्च से जुड़े आंकड़े और डॉक्टरों की रेलेवेंट सलाह। इसे मात्र 2 मिनट में पढ़कर आपको  मिलेगी सेहत से जुड़ी जरूरी जानकारी।(Having less sex increases the risk of death, working at night can cause cancer, to avoid infidelity the male bee makes its partner unconscious) ”संबंध कम बनाने से मौत का खतरा ज्यादा, रात की में नौकरी करने से हो सकता है कैंसर, बेवफाई से बचने के लिए नर मक्खी अपनी साथी को कर देती है बेहोश”
लगातार बच्चे हो रहे मोटापे का शिकार,  साल 2030 तक 60% तक बढ़ने की संभावना

इस समय बच्चे तेजी से मोटापे का शिकार हो रहे हैं। साथ ही  2030 तक यह संख्या 60 प्रतिशत और बढ़ जाएगी। ऐसा इसलिए हो रहा है कि आजकल बच्चे न तो फिजीकल एक्टिविटी को समय देते हैं और हेल्दी खानपान लेते हैं। इस बात का खुलासा एक अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च में किया गया है।

शोध में बताया गया कि बच्चों में मोटापे की दर लगातार बढ़ रही है और यदि समय रहते इसे रोका नहीं गया। तो इसका बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है और ये जानलेवा भी हो सकता है।

रिसर्च के दौरान 70 से अधिक देशों के एक लाख से अधिक बच्चों के डेटा का रिव्यू किया गया। जिसमें सामने आया कि शारीरिक गतिविधियों में कमी, अनहेल्दी(फास्ट फूड, अधिक तेल और मसाले वाला) आहार, ज्यादातर शहर में रह रहे।

बच्चों में मोटापा हृदय रोग, टाइप 2 डायबिटीज, और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का खतरा ज्यादा मिला। यह शोध वर्ल्ड हेल्थ आर्गनाइजेशन (WHO) के नेतृत्व में किया गया और द लैंसेट जर्नल में 2024 में प्रकाशित हुआ। ऐसे में मोटापे से ग्रस्त बच्चे आगे चलकर वयस्क होने पर भी मोटापे से जुड़े स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियों का सामना करते हैं।

गर्भावस्था (pregnancy) में विटामिन डी की कमी के प्रभाव: अस्थमा और एलर्जी का बढ़ा खतरा

प्रेंग्नेंट महिलाओं में विटामिन डी की कमी होने पर उन्हें अस्थमा और एलर्जी का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ऐसे में जच्चा और बच्चा दोनों को खतरा होता है। वहीं, इन रोगों का असर नवजात पर भी पड़ता है।

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यूएस की हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की कमी का संबंध बच्चों में अस्थमा और एलर्जी के जोखिम से जुड़ा हुआ है। यह शोध जर्नल ऑफ पेरिनेटल मेडिसिन में 2024 में प्रकाशित हुआ। इस अध्ययन में 1,200 गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य डेटा का रिव्यू किया गया। उनके बच्चों के जन्म के बाद की स्वास्थ्य स्थिति पर भी नज़र रखी गई।

जिसमें  शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन गर्भवती महिलाओं में विटामिन डी की कमी पाई गई। उनके बच्चों में अस्थमा और एलर्जी की समस्या अधिक देखने को मिली। विटामिन डी गर्भावस्था के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। क्योंकि यह बच्चे के इम्यून सिस्टम और श्वसन तंत्र के विकास में मदद करता है। विटामिन डी की कमी न केवल गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है,  बल्कि इसका सीधा प्रभाव बच्चे के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है।

इसलिए गर्भवती महिलाओं को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी लेने की सलाह दी गई है। ताकि बच्चे के विकास पर इसका प्रभाव न हो। विटामिन डी के प्राकृतिक स्रोत जैसे धूप, विटामिन डी से भरपूर आहार, और आवश्यक होने पर सप्लीमेंट्स का सेवन गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद हो सकता है।

रात में काम करने वालों में कैंसर का खतरा: ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर की अधिक संभावना

रात की शिफ्ट में काम करने वालों के लिए कैंसर का खतरा ज्यादा है। यह खतरा भरपूर एक साथ नींद नहीं ले पाना, भोजन सही से न पचना और हर्मोन इंप्रूवमेंट एवं चेजेंस की वजह से है।

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इग्लैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के कैंसर रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने रात की शिफ्ट में काम करने वालों को अपने शरीर की जैविक घड़ी को ठीक बनाए रखने के लिए नियमित नींद और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की सलाह दी गई है।

इसके अलावा, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों को रात की शिफ्ट में काम करने वालों के स्वास्थ्य की निगरानी और समय-समय पर उनकी जांच की व्यवस्था की गई। जिसमें सामने आया कि नियमित रूप से रात में काम करने वाले लोगों में ब्रेस्ट और प्रोस्टेट कैंसर का खतरा दिन की शिफ्ट में काम करने वालों की तुलना में 40% अधिक होता है।  इस रिसर्च को ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (BMJ) में 2024 में प्रकाशित किया गया।

कम सेक्स करने वालों में मौत का खतरा ज्यादा 

अगर आप संबंध कम बनाते हैं। तो आपकी जल्दी मौत हो सकती है। इस बात का दावा रिसर्चरों ने किया है। रिर्सचरों का कहना है कि अगर आप सेक्स कम करते हैं या आप में सेक्स करने की इच्छा कम है। तो इससे जान जाने की आशंका दोगुनी हो जाती है।

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इस बात का पता लगाने के लिए  जापान के यामागाटा यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट़स द्वारा दस साल अधिक समय तक 20 हजार महिलाओं और पुरुषों का रिकार्ड सर्वे किया गया था।  इसमें 40 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों पर विशेष ध्यान दिया गया। जिनमें सेक्सुअल इंटरेस्ट (कामेच्छा) कम था। परिणामों ने दिखाया कि इन पुरुषों में कैंसर से मरने की आशंका लगभग दोगुनी थी। जबकि हार्ट डिजीज से मरने का जोखिम डेढ़ गुना अधिक था।

शोध के निष्कर्षों से यह भी पता चला कि जिन पुरुषों में सेक्सुअल इंटरेस्ट कम होता है। उनमें अन्य खराब आदतें जैसे ज्यादा धूम्रपान करना और अत्यधिक शराब का सेवन करना सामान्य होता है।

रिर्सचरों का मानना है कि कम संबंध बनाना कई बार गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है। जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। संबंध बनाने से इंसान की साइकोलॉजिकल सेहत को फायदा होता है।

सेक्सुअल एक्टिविटी और संतुष्टि से व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक सेहत को काफी फायदा होता है। संबंध बनाने की इच्छा केवल शारीरिक जरूरत ही नहीं है। बल्कि यह मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह शोध पीएलओएस वन मैगजीन में प्रकाशित किया गया था।

किसी और से संबंध न बना ले इसलिए नर मक्खी सेक्स के बाद मादा मक्खी को कर देती है बेहोश 

इंसान ही नहीं जीव भी अपनी साथी का किसी और संबंध नहीं बनाने देना चाहते हैं। इसके लिए अपनी साथी को बेहोश तक कर देते हैं। एक रिसर्च में सामने आया है कि नर मक्खी मादा मक्खी को इसलिए बहोश कर देती है। जिससे वह किसी और संबंध न बना सके।

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आमतौर पर सूर्योदय से पहले मादा मक्खियां जाग जाती हैं। जो उनके लिए मेटिंग का समय होता है। लेकिन जब नर मक्खी अपने मादा साथी के साथ संबंध बनाता है। तो वह एक विशेष केमिकल छोड़ता है जिसे सेक्स पेप्टाइड कहा जाता है। यह पेप्टाइड मादा मक्खी के शरीर में पहुंचकर उसकी जैविक घड़ी पर असर डालता है और उसे बेहोश कर देता है। इस बेहोशी की स्थिति में वह मादा मक्खी सुबह जागने में असमर्थ हो जाती है और किसी अन्य नर मक्खी से संबंध नहीं बना पाती।

इस शोध को नेशनल साइंटिफिक एंड टेक्निकल रिसर्च काउंसिल, अर्जेंटीना की रिसर्चर लोरेना फ्रेंको और उनकी टीम ने किया था। टीम ने चार दिनों तक लाइट-कंट्रोल्ड लैब में मादा मक्खियों का अवलोकन किया। इसके लिए उन्होंने मक्खियों पर वेबकैम के जरिये नजर रखी। इनमें वर्जिन मक्खियाँ और हाल में संबंध बना चुकीं मक्खियां शामिल थीं।

शोध में पाया गया कि वर्जिन मक्खियां सुबह जल्दी उठ गईं। जबकि हाल में संबंध बना चुकीं मादा मक्खियां सूर्य की रोशनी पड़ने तक सोई रहीं। यह निष्कर्ष निकाला गया कि नर मक्खी द्वारा छोड़े गए सेक्स पेप्टाइड के कारण मादा मक्खियां बेहोश रहती हैं।

शोधकर्ताओं ने इसका परीक्षण करने के लिए मादा मक्खियों में मौजूद सेक्स पेप्टाइड रिसेप्टर्स से कुछ न्यूरॉन्स ग्रुप्स को हटा दिया। इसके बाद मादा मक्खियाँ फिर से सूर्योदय से पहले जागने लगीं। जिससे यह सिद्ध हुआ कि सेक्स पेप्टाइड ही मादा मक्खी की नींद को नियंत्रित कर रहा था।

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फिर मिलेगें नई रिसर्च के साथ अगले सोमवार..

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