मिथुन चक्रवर्ती को मिला दादा साहब फाल्के पुरस्कार; ‘ऐसा कभी सोचा भी नहीं था’ कहकर भावुक हुए अभिनेता

Dainik ujala24। भारतीय सिनेमा के दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। यह घोषणा हाल ही में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा की गई, जिससे अभिनेता के प्रशंसकों और फिल्म इंडस्ट्री में हर्ष की लहर दौड़ गई। 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में 8 अक्टूबर को यह पुरस्कार मिथुन चक्रवर्ती को प्रदान किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मिथुन चक्रवर्ती को इस सम्मान पर बधाई दी, और उनके भारतीय सिनेमा में दिए गए योगदान को सराहा।

पीएम मोदी ने दी बधाई

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट के जरिए मिथुन चक्रवर्ती को बधाई दी। उन्होंने लिखा, “मुझे खुशी है कि मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उनके अद्वितीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।” पीएम मोदी ने उनकी बहुमुखी प्रतिभा की प्रशंसा करते हुए कहा कि, “वे सांस्कृतिक प्रतीक हैं। जिन्हें उनकी बहुमुखी प्रस्तुतियों के लिए पीढ़ियों से सराहा जाता रहा है।” प्रधानमंत्री ने अपने संदेश में मिथुन को शुभकामनाएं भी दीं। यह सम्मान न केवल अभिनेता के करियर का महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, बल्कि यह उनके प्रशंसकों और फिल्म इंडस्ट्री के लिए भी गर्व की बात है।

मिथुन बोले- मैं कोलकाता की जिस जगह से आया हूं, फुटपाथ से उठकर यहां तक आया
इस प्रतिष्ठित पुरस्कार की घोषणा के बाद, मिथुन चक्रवर्ती ने अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें इस सम्मान की कभी उम्मीद नहीं थी। उन्होंने कहा, “कभी सोचा नहीं था, मेरे पास शब्द नहीं हैं।” यह बात कहते हुए मिथुन काफी भावुक नजर आए। उन्होंने आगे कहा, “मैं सच बोलूं तो मेरे पास कोई भाषा ही नहीं है। न मैं हंस सकता हूं और न ही खुशी से रो सकता हूं। ये इतनी बड़ी चीज है, कैसे बताऊं। मैं कोलकाता की जिस जगह से आया हूं, फुटपाथ से उठकर यहां तक आया, उस लड़के को इतना बड़ा सम्मान मैं सोच भी नहीं सकता।”

मिथुन चक्रवर्ती का यह बयान उनकी यात्रा और संघर्ष की गहरी झलक देता है। एक सामान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाले मिथुन ने अपने करियर की शुरुआत बेहद मुश्किल परिस्थितियों में की थी। लेकिन अपनी प्रतिभा, कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर उन्होंने भारतीय सिनेमा में एक विशिष्ट पहचान बनाई। उनके द्वारा ‘फुटपाथ से उठकर आए लड़के’ की बात उनके संघर्ष और उस सफलता को दर्शाती है जो उन्होंने अपने दम पर हासिल की है। मिथुन के इस बयान ने उनके प्रशंसकों के दिलों को छू लिया और उनके संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी को और भी खास बना दिया।

डिस्को डांसर वाली छवि ने उन्हें एक अलग पहचान दी

मिथुन चक्रवर्ती ने अपने करियर की शुरुआत 1976 में फिल्म ‘मृगया’ से की, जिसमें उन्होंने अपनी जबरदस्त अभिनय क्षमता का परिचय दिया। इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। इसके बाद मिथुन ने हिंदी सिनेमा में कई यादगार फिल्में कीं। जिनमें ‘डिस्को डांसर’ जैसी फिल्में शामिल हैं। जिसने उन्हें अंतर्राष्ट्रीय ख्याति दिलाई। उन्होंने ‘सुरक्षा’, ‘वारदात’, ‘डांस डांस’, ‘अग्निपथ’, ‘प्यार झुकता नहीं’ जैसी हिट फिल्मों में बेहतरीन प्रदर्शन किया। उनके अभिनय की शैली और उनकी डिस्को डांसर वाली छवि ने उन्हें एक अलग पहचान दी। जिसे आज भी लोग याद करते हैं।

मिथुन चक्रवर्ती की लोकप्रियता सिर्फ बॉलीवुड तक सीमित नहीं रही। उन्होंने बांग्ला सिनेमा में भी अपनी धाक जमाई और वहां भी सफलतापूर्वक काम किया। इसके अलावा, वह टीवी इंडस्ट्री में भी सक्रिय रहे और ‘डांस इंडिया डांस’ जैसे रियलिटी शो में जज की भूमिका निभाई। उनके ‘दादा’ के नाम से मशहूर होने के पीछे उनके इसी व्यक्तित्व की झलक है जो सभी को प्रेरित करता है।

दादा साहब फाल्के पुरस्कार: भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान

दादा साहब फाल्के पुरस्कार भारतीय सिनेमा का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जिसे 1969 में शुरू किया गया था। यह पुरस्कार फिल्म इंडस्ट्री के उन कलाकारों, निर्देशकों और तकनीशियनों को दिया जाता है। जिन्होंने भारतीय सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान दिया हो। मिथुन चक्रवर्ती से पहले इस पुरस्कार से कई दिग्गज कलाकारों को सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें राज कपूर, आशा भोसले, अमिताभ बच्चन, रजनीकांत, और लता मंगेशकर जैसी हस्तियां शामिल हैं।

प्रशंसकों को समर्पित किया सम्मान

मिथुन चक्रवर्ती ने इस पुरस्कार को अपने परिवार और दुनियाभर के अपने प्रशंसकों को समर्पित किया है। उन्होंने कहा, “यह पुरस्कार मेरे लिए जितना महत्वपूर्ण है। उतना ही मेरे परिवार और मेरे प्रशंसकों के लिए भी है। उनके बिना मैं यहां तक नहीं पहुंच सकता था।” मिथुन का यह बयान उनके विनम्र और जमीनी व्यक्तित्व को दर्शाता है, जो उन्होंने जीवनभर बनाए रखा है।

मिथुन चक्रवर्ती: एक आइकन और प्रेरणा

मिथुन चक्रवर्ती की कहानी उन सभी के लिए प्रेरणादायक है, जो सपने देखते हैं और उन्हें साकार करने का हौसला रखते हैं। उनकी यात्रा संघर्ष से शुरू होकर स्टारडम तक पहुंची और आज वह भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े पुरस्कार के हकदार बने हैं। यह न केवल उनके लिए एक व्यक्तिगत जीत है, बल्कि उन लाखों लोगों के लिए भी एक प्रेरणा है जो छोटे शहरों से बड़े सपने लेकर आते हैं।

दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित होना मिथुन चक्रवर्ती के लिए एक नई ऊंचाई है। जो उनके दशकों के संघर्ष, मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।

Leave a Comment

Read More

Read More