क्यूआर कोड से कर रहे हैं भुगतान तो सावधानी जरूरी: नाम जांचें, धोखाधड़ी से बचें

नई दिल्ली। यूपीआई पेमेंट के बढ़ते इस्तेमाल के साथ क्यूआर कोड स्कैन कर भुगतान करना बेहद सामान्य हो गया है। हालांकि, यह तरीका जितना सरल है, उतना ही जोखिम भरा भी साबित हो सकता है। हाल के दिनों में क्यूआर कोड से जुड़े धोखाधड़ी के कई मामले सामने आए हैं, जहां जालसाजों ने दुकानों और स्टोर्स के क्यूआर कोड बदलकर ग्राहकों का भुगतान अपने खाते में ट्रांसफर कर लिया।

कैसे होती है धोखाधड़ी?

मध्य प्रदेश के खजुराहो में जालसाजों ने दुकानों, पेट्रोल पंपों और मेडिकल स्टोर्स के क्यूआर कोड रात में बदल दिए। जब ग्राहकों ने भुगतान किया, तो पैसे दुकानदार के बजाय जालसाज के खाते में चले गए। इसी तरह की घटनाएं गुरुग्राम और देश के अन्य शहरों में भी देखने को मिली हैं।

सावधानी

भुगतान से पहले नाम जांचें: क्यूआर कोड स्कैन करने पर रिसीवर का नाम आता है, इसे अवश्य जांचें।

गूगल लेंस का उपयोग करें: कोड की प्रामाणिकता जांचने के लिए गूगल लेंस का इस्तेमाल करें।

संदेहास्पद कोड को न स्कैन करें: अस्पष्ट या छेड़छाड़ किए हुए क्यूआर कोड को स्कैन न करें।

सुरक्षित स्थान पर लगाएं: क्यूआर कोड को दुकान के अंदर या ऐसी जगह लगाएं, जहां सीसीटीवी कैमरे की निगरानी हो।

भुगतान के बाद बैंक नोटिफिकेशन चेक करें: पेमेंट सफल होने के बाद तुरंत नोटिफिकेशन जांचें।

धोखाधड़ी पाए जाने पर रिपोर्ट करें: किसी गड़बड़ी पर तुरंत पुलिस या संबंधित एजेंसी को सूचित करें।

सरकार की पहल:वित्त मंत्रालय के अनुसार, क्यूआर कोड धोखाधड़ी रोकने के लिए टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, डिवाइस हॉन्डिंग और लेनदेन की सीमा जैसे उपाय लागू किए गए हैं। साइबर घटना की शिकायत के लिए पोर्टल www.cybercrime.gov.in और हेल्पलाइन नंबर 1930 उपलब्ध हैं।

Leave a Comment

Read More

Read More