प्रयागराज। महाकुंभ 2025 में श्रद्धालुओं के लिए एक खास धार्मिक और आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र बना है 7.5 करोड़ रुद्राक्षों से निर्मित 12 ज्योतिर्लिंगों का भव्य प्रदर्शन। त्रिवेणी संगम के पास बने इस अनूठे धार्मिक निर्माण ने श्रद्धालुओं और पर्यटकों का ध्यान खींचा है।
हिंदू धर्म में रुद्राक्ष और ज्योतिर्लिंग का विशेष महत्व है। रुद्राक्ष को भगवान शिव का पवित्र आभूषण माना जाता है, और 12 ज्योतिर्लिंगों को भगवान शिव के सबसे पवित्र रूपों के रूप में पूजा जाता है। महाकुंभ में 12 ज्योतिर्लिंगों को 7.5 करोड़ रुद्राक्षों से बनाना, शिव भक्ति और भारतीय संस्कृति की अनोखी झलक पेश करता है।
कैसे बनाए गए ये अनोखे ज्योतिर्लिंग?
इन 12 ज्योतिर्लिंगों को बनाने के लिए प्रयागराज में कारीगरों की एक विशेष टीम ने कई महीनों तक मेहनत की। ज्योतिर्लिंगों को रुद्राक्ष की माला से सजाया गया है और हर ज्योतिर्लिंग को एक अलग शैली और आकार दिया गया है। हर ज्योतिर्लिंग की ऊंचाई लगभग 12 फीट है और इसे चंदन, कुमकुम, और पुष्पों से भी सजाया गया है।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़
महाकुंभ में इन रुद्राक्ष ज्योतिर्लिंगों को देखने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है। भक्त इन ज्योतिर्लिंगों के दर्शन कर भगवान शिव से अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना कर रहे हैं। आयोजकों का कहना है कि इस धार्मिक संरचना का उद्देश्य शिव भक्ति को बढ़ावा देना और पर्यावरण-संवेदनशील सामग्री का उपयोग करना है।
महाकुंभ के आयोजकों ने बताया कि 7.5 करोड़ रुद्राक्षों का उपयोग इस बात का प्रतीक है कि आध्यात्मिकता और पर्यावरण के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है। यह अनोखा प्रयास न केवल श्रद्धालुओं को भगवान शिव के करीब लाने का माध्यम बना है, बल्कि भारतीय संस्कृति और शिल्पकला का भी बेजोड़ उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इस आयोजन को पर्यावरण के अनुकूल बनाने के लिए आयोजकों ने ध्यान रखा कि सभी सामग्री जैविक और पारंपरिक हो। रुद्राक्ष का उपयोग प्रकृति के प्रति समर्पण का संदेश भी देता है। यह अनूठा धार्मिक और सांस्कृतिक निर्माण महाकुंभ मेले को और भी विशेष बना रहा है, और श्रद्धालुओं के बीच इसे देखने और इसकी महत्ता समझने का उत्साह बना हुआ है।