महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती, क्या है इसका महत्व, जानिए पूजा विधि

 नई दिल्ली। भगवान शिव की आराधना का सबसे महत्वपूर्ण दिन है। यह पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को मनाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। साथ ही,यह वह रात मानी जाती है जब भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, जिससे सृष्टि, पालन और संहार का चक्र चलता रहता है। इसलिए, इस दिन शिवजी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

इस दिन शिवजी की पूजा और व्रत रखने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिवजी को संहार का देवता माना जाता है। उनकी आराधना करने से व्यक्ति के जीवन से सभी दुख और परेशानियां दूर होती हैं। महाशिवरात्रि पर व्रत करने और रात्रि जागरण करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है।

यह दिन सिर्फ व्यक्तिगत पूजा का ही नहीं, बल्कि पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को जागृत करने का भी पर्व है। महाशिवरात्रि पूजा कैसे करें? महाशिवरात्रि पर शिवजी की पूजा चार पहरों में की जाती है। इस दिन रात्रि जागरण करना और भगवान शिव का ध्यान लगाना विशेष फलदायी माना जाता है।

1. सूर्योदय से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। भगवान शिव की पूजा का संकल्प लें और पूरे दिन व्रत करने का प्रण करें।

2. शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र अर्पित करें। अगर गंगाजल न मिले तो साफ पानी से अभिषेक करें। शिवलिंग पर चंदन, धतूरा, भांग और सफेद फूल चढ़ाएं। भगवान शिव को फल, मिठाई और पंचामृत अर्पित करें।

3. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करें। “महामृत्युंजय मंत्र” का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है।

4. पूरी रात जागकर भगवान शिव का ध्यान करें। भजन-कीर्तन करें और शिव कथा सुनें।

5.गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं। ब्राह्मणों को वस्त्र, भोजन और दक्षिणा दें।

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