Sangam Yadav: गर्भावस्था से लेकर प्रसव तक हर दो मिनट में एक मां की मौत हो रही है। इनमें 2020 में करीब 2.87 लाख माताओं की मौत हुई। इनका कारण अधिक ब्लीडिंग, प्रीक्लेम्पसिया और हाई ब्लड प्रेशर ज्यादा है। यह रिपोर्ट हेल्थ वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन की है। डब्लूएचओ रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी कई महिलाओं को प्रग्नेंसी और बच्चे के जन्म के दौरान पर्याप्त इलजा और देखभाल न होने की वजह से ऐसा हो रहा है। यह रिसर्च लैंसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुई है।

महिलाओं की मौत के कारणों की पहली रिसर्च
डब्ल्यूएचओ की पहली रिसर्च 2015 में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को अपनाने के बाद से माओं की मौत के कारणों पर पहला अपडेट है। 2009 से 2020 तक मातृ मृत्यु दर के आंकड़ों पर किए गए अध्ययन के अनुसार एचआईवी/एड्स, मलेरिया, एनीमिया और मधुमेह जैसी संक्रामक और पुरानी बीमारियां गर्भावस्था और प्रसव से संबंधित मृत्यु दर का लगभग एक चौथाई (23%) हिस्सा हैं। इन स्थितियों के बारे में अक्सर पता नहीं चल पाता तथा उनका इलाज भी नहीं हो पाता।
ब्लीडिंग से सबसे अधिक मौतें
डब्ल्यूएचओ की नई रिसर्च में सामने आया है कि मातृ मृत्यु दर की सबसे बड़ी वजह रक्तस्राव( प्रसव के दौरान या उसके बाद) है। 27 फीसदी माओं की मौत इसी वजह से हो रही है। जबकि प्रीक्लेम्पसिया और अन्य हाई ब्लड प्रेशर संबंधी विकार से 16 फीसदी महलाओं की मौतें हो रही हैं। प्रीक्लेम्पसिया ऐसी स्थिति है होती है, जिसमें हाई ब्लड प्रेशर होता है। इसके इलाज में देरी से ब्लीडिंग, स्ट्रोक, अंगों के काम न करने और अटैक का कारण बन सकता है। इसके अलावा सेप्सिस और इन्फेक्शन, असुरक्षित मिसकैरिज और प्रसव के दौरान होने वाली इंजरी से भी महिलाओं की मौतें हो रही हैं।
मातृ मृत्यु दर कम करने का लक्ष्य हासिल नहीं
रिपोर्ट में बताया गया है कि मातृ मृत्यु दर सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सही दिशा में नहीं है। इसके अनुसार दुनियाभर में मातृ मृत्यु दर अनुपात 2030 तक प्रति एक लाख जीवित जन्मों पर 70 से कम होना चाहिए। उप-सहारा अफ्रीका और पश्चिमी एशिया एवं उत्तरी अफ्रीका में रक्तस्राव से सबसे अधिक मौतें हो रहीं हैं। जबकि हाई ब्लड प्रेशर संबंधी विकारों से मातृ मृत्यु का अनुपात लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में सबसे अधिक था।