वाराणसी। भरत मिलाप मेले में रामभक्तों पर हुए लाठीचार्ज ने पुलिस की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह घटना नाटी इमली मैदान में हुई, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु राम-भरत मिलाप लीला देखने के लिए इकट्ठा होते हैं। इस आयोजन को लेकर काशीवासियों के बीच खास श्रद्धा और उत्साह रहता है, लेकिन इस बार की घटना ने लोगों को आक्रोशित कर दिया है।
रविवार 13 अक्टूबर को चार बजे नाटी इमली मैदान में श्रीराम और भरत के मिलन की लीला शुरू होने वाली थी। मैदान खचाखच भरा हुआ था, और सड़कों के साथ-साथ आसपास की गलियां भी श्रद्धालुओं से भर चुकी थीं। काशी नरेश मैदान में हाथी पर सवार थे और गारद की सलामी के बाद राम-लक्ष्मण के दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे थे।
इस बीच यादव बंधु परंपरागत रूप से पुष्पक विमान लेकर मैदान में प्रवेश करने आए। हर साल की तरह, उन्हें पश्चिमी गेट से प्रवेश करना था। लेकिन इस बार पुलिस ने उन्हें बैरिकेडिंग पर रोक दिया। पुलिस का निर्णय था कि इस साल विमान के प्रवेश के बाद यादव बंधुओं को मैदान में जाने नहीं दिया जाएगा, जो हर साल मैदान में प्रवेश करते थे। इससे रामभक्त यादव बंधुओं में नाराजगी फैल गई और तनाव बढ़ने लगा।
पुलिस और यादव बंधुओं में हुई नोकझोंक
जैसे ही पुलिस ने यादव बंधुओं को रोकने का प्रयास किया। दोनों पक्षों के बीच नोकझोंक और धक्का-मुक्की होने लगी। यादव बंधुओं का कहना था कि वे हर साल लीला के हिस्से के रूप में मैदान में प्रवेश करते हैं और इस बार रोकने का कोई तर्क नहीं था। पुलिस की तरफ से उन्हें रोकने के लिए बैरिकेडिंग पर एक अभेद दीवार बनाई गई थी। लेकिन भीड़ बढ़ने पर पुलिस ने लाठीचार्ज शुरू कर दिया।
पश्चिमी गेट पर तैनात एसीपी और अन्य अधिकारियों ने पहले नोकझोंक की, फिर स्थिति बिगड़ते देख लाठियां चलानी शुरू कीं। इसके बाद भगदड़ मच गई, जिससे कई लोग घायल हो गए। पुलिस की लाठियों से बचने के लिए लोग जूते-चप्पल छोड़कर भागने लगे। इस भगदड़ और लाठीचार्ज में महिलाएं और बच्चे भी चपेट में आ गए, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई।
मंत्री पुत्र के साथ पुलिस की भिड़ंत
घटना के दौरान एक और विवाद तब हुआ, जब उत्तर प्रदेश सरकार के राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल के बेटे आयुष जायसवाल और भाजपा नेताओं को भी पुलिस ने मैदान में घुसने से रोका। इस पर मंत्री पुत्र आयुष ने पुलिसकर्मियों से बहस की और धक्का-मुक्की भी हुई। बाद में एसीपी चेतगंज ने मामला शांत करवा दिया। इसके बावजूद, मंत्री पुत्र के साथ हाथापाई करने वाले नाटी इमली चौकी इंचार्ज अशोक सिंह को कुछ ही समय बाद निलंबित कर दिया गया। जिससे इस मामले ने और तूल पकड़ लिया।
सोशल मीडिया पर गुस्सा और पुलिस की सफाई
घटना के कई वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि रामभक्तों पर लाठियां बरसाई गईं। इस पर काशी के लोगों ने पुलिस की जमकर आलोचना की।
पुलिस के लाठीचार्ज से हुई किरकिरी के बाद डीसीपी काशी ने सफाई दी कि लाठीचार्ज नहीं हुआ था। उन्होंने बताया कि भीड़ का दबाव इतना बढ़ गया था कि कुछ महिलाएं और बच्चे बैरिकेडिंग के पास फंस गए थे। उन्हें निकालने के प्रयास में भगदड़ मच गई और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। डीसीपी काशी ने नाटी इमली चौकी इंचार्ज अशोक सिंह को निलंबित करते हुए उनकी जगह सत्यदेव गुप्ता को नया चौकी इंचार्ज नियुक्त किया।
भरत मिलाप समिति के व्यवस्थापक ने पुलिस पर आरोप लगाया
भरत मिलाप समिति के व्यवस्थापक पंडित मुकुंद उपाध्याय ने पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि तीन दिन पहले हुई बैठक में यह तय हुआ था कि यादव बंधु पश्चिमी गेट से प्रवेश करेंगे और आम जनता पूर्वी गेट से। इसके बावजूद पुलिस ने पश्चिमी गेट पर यादव बंधुओं को रोकने की कोशिश की, जिससे यह अव्यवस्था पैदा हुई। उन्होंने कहा कि यह घटना पुलिस की विफलता का परिणाम है, और दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने काशीवासियों का अपमान बताया
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इस घटना को काशीवासियों का अपमान बताते हुए कहा, “रामभक्तों पर लाठीचार्ज निंदनीय है। 481 साल पुरानी इस परंपरा में यह पहली बार हुआ है, और काशीवासी इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे।” उन्होंने सरकार से दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
सपा के प्रवक्ता ने घटना की निंदा की
समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री और प्रवक्ता मनोज राय धूपचंडी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा, “भरत मिलाप ऐतिहासिक मेला है, और इसे देखने के लिए लाखों लोग आते हैं। आज तक यहां कोई अव्यवस्था नहीं हुई, लेकिन पुलिस की नाकामी और प्रशासनिक लापरवाही के कारण इस बार यह स्थिति पैदा हुई।