जल्लीकट्टू से एक दिन में सात की मौत, 400 से ज्यादा घायल, जाने क्या है जल्लीकट्टू

तमिलनाडु। पोंगल के अवसर पर आयोजित जल्लीकट्टू त्योहार के दौरान गुरुवार को विभिन्न जिलों में 7 लोगों की मौत और 400 से अधिक लोगों के घायल होने की खबर है। इस खेल में बैल को भीड़ में छोड़कर प्रतियोगिता होती है। जान गंवाने वालों में बैल मालिक, खेल के प्रतिभागी, और दर्शक शामिल हैं।आयोजन में 600 से ज्यादा बैलों ने भाग लिया। जिसमें दो बैलों की भी मौत हो गई।

क्या है जल्लीकट्टू?
जल्लीकट्टू तमिलनाडु की एक प्राचीन परंपरा है, जो पोंगल त्योहार के दौरान खेला जाता है। इसे एरु थझुवुथल और मनकुविरत्तु के नाम से भी जाना जाता है। इसमें बैल को भीड़ के बीच छोड़ दिया जाता है, और खिलाड़ी बैल के कूबड़ को पकड़ने और उसे नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। विजेता वह होता है जो सबसे लंबे समय तक बैल के कूबड़ को पकड़ने में सफल रहता है।

जल्लीकट्टू का इतिहास
यह परंपरा 400-100 ईसा पूर्व की मानी जाती है। इसका नाम दो शब्दों से बना है। जल्ली का अर्थ चांदी और सोने के सिक्के और कट्टू का अर्थ बंधा हुआ है।  तमिलनाडु में बैल को भगवान शिव का वाहन और परिवार का सदस्य माना जाता है। बैल की मौत पर सिर मुंडवाना, मृत्युभोज देना, और जनाजा निकालना आम परंपराएं हैं। मृत बैल का मंदिर बनाकर उसकी पूजा की जाती है। बार-बार होने वाली इन घटनाओं के बाद खेल की सुरक्षा व्यवस्था और मानकों पर सवाल उठ रहे हैं।

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