ब्रह्माण्ड के लगभग 95 प्रतिशत हिस्से से की जानकारी से अनभिज्ञ हैं हम : प्रोफेसर पार्थ कोनार

शाहजहांपुर। हम केवल विकिरण, तारे, हाइड्रोजन, हिलियम जैसी गैसों सहित विभिन्न रासायनिक तत्वों के ही बारे में जानते हैं। जबकि यह ब्रह्मांड का मात्र 5 प्रतिशत ही हिस्सा है। वास्तविकता से अनभिज्ञ हम ब्रह्मांड में 70 प्रतिशत अदृश्य ऊर्जा एवं 25 प्रतिशत अदृश्य मौजूद पदार्थों से अपरिचित हैं।

यह जानकारी अहमदाबाद भौतिकी अनुसंधान प्रयोगशाला के प्रोफेसर पार्थ कोनार ने यहां स्वामी शुकदेवानंद महाविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के द्वारा आयोजित ऑनलाइन में दी। प्रो०पार्थ सूक्ष्म से वृहद स्तर तक ब्रह्मांड के अवयवों की खोज विषय पर अतिथि व्याख्यान के रूप में शिक्षार्थियों से रूबरू थे। उन्होंने बताया कि पदार्थ, ऊर्जा, आकाश एवं समय सभी छोटे-छोटे घटकों से मिलकर बने हैं। समय के साथ हमें इन घटकों का ज्ञान होता चला गया।

आनलाइन उन्होंने उदाहरण देकर बताया एक लंबे समय पहले यह माना जाता था कि ब्रह्मांड केवल पांच तत्वों से निर्मित है। ये पांच तत्व हैं- पृथ्वी, अग्नि, जल, वायु एवं आकाश। किंतु जैसे-जैसे शोध की प्रगति होती गई, वैसे-वैसे हम इन पांच महाभूतों से अवपरमाण्विक कणों एवं उनकी भी आधारभूत संरचना से परिचित होते गए। प्रोफेसर कोनार ने प्रकृति में पाए जाने वाले सभी मूल बलों, उनकी आपेक्षिक प्रबलता, उनकी परास एवं अनुप्रयोगों से परिचित कराते हुए बताया कि प्रकृति में गुरुत्वाकर्षण बल ही सबसे ज्यादा प्रभावी बल है। उन्होंने बताया कि प्रत्येक कण का एक प्रतिकण होता है एवं इस आधार पर उन्होंने कण भौतिकी का मॉडल प्रस्तुत किया।

उन्होंने लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर प्रयोग एवं हिग्स बोसोन के विषय में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ब्रह्मांड शुरुआत में एक अति सूक्ष्म बिंदु के रूप में केंद्रित था। महाविस्फोट के साथ इसमें बहुत तेजी से प्रसार हुआ। धीरे-धीरे क्वार्क एवं हैड्रॉन जैसे मूल कण बने एवं उसके बाद हाइड्रोजन जैसी गैसें तथा धीरे-धीरे तारों एवं गैलेक्सियों का निर्माण हुआ। वर्तमान में ब्रह्मांड त्वरित प्रसार की ओर अग्रसर है।

शिक्षार्थियों ने ब्रह्माण्ड से संबंधित प्रोफेसर कोनार पार्थ से अनेकों प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासाओं को शांत किया।
एसएम कालेज के भौतिकी विज्ञान विभागाध्यक्ष शिशिर शुक्ला के निर्देशन में आनलाइन कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसे सफल बनाने में राजनंदन सिंह राजपूत, सत्येंद्र कुमार सिंह, प्रशांत शर्मा, अवनीश चौहान, तुषार आदि का विशेष सहयोग रहा।

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