कानुपर। उत्तर प्रदेश में एक फर्जी दरोगा पकड़ा गया है। इस पर फर्नीचर कारोबारी से 15 लाख की ठगी करने का आरोप है। दरोगा का नाम संजीव कुमार यादव है। पुलिस ने संजीव के घर पर छापा मारकर 7 पुलिस की वर्दी बमरामद की हैं। साथ ही 12 जोड़ी जूते, पुलिस के दो फर्जी आई-कार्ड, 4 आईफोन मिले हैं। इनके अलावा अन्य पुलिस विभाग के दस्तावेज भी शामिल हैं। नकली दरोगा फर्रुखाबाद जिले के मोहम्मदाबाद थाना क्षेत्र का रहने

दृष्टिहीन फर्नीचर करोबारी से 15 लाख उधार लेकर गबन किए
दरअसल, मामला तब सामने आया जब कानपुर के सीटीएस कल्याणपुर बस्ती में रहने वाले व्यवसायी चंद्रेश्वर सिंह ने पुलिस से मदद मांगी। चंद्रेश्वर सिंह दोनों आंखों से दृष्टिहीन हैं और उनका बड़ा फर्नीचर कारोबार है। उन्होंने बताया कि उनके दामाद ने एक बार संजीव को दरोगा के रूप में उनके घर लाया था। संजीव ने जमीन खरीदने के लिए 15 लाख रुपए उधार मांगे थे।
कुछ दिनों में ही लौटाने की बात कही
चंद्रेश्वर ने संजीव के खाते में 10 लाख रुपए ट्रांसफर किए और 5 लाख रुपए नकद दिए। पैसे वापसी की बात 7-8 दिन में तय हुई थी। लेकिन एक साल बीतने के बाद भी संजीव ने पैसे नहीं लौटाए। जब चंद्रेश्वर ने पैसे वापस मांगे तो संजीव ने धमकी दी और जेल भिजवाने की धमकियां दीं। मामले के तूल पकड़ने पर संजीव ने दो चेक दिए। जो बाउंस हो गए।

पुलिस जांच में खुली पोल
जांच में पता चला कि संजीव कोई असली दरोगा नहीं है, बल्कि फर्जी है। वह कई सालों से पुलिस की वर्दी पहनकर और फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करके लोगों को धोखा दे रहा था। उसके घर से आईएएस ट्रेनिंग का फर्जी कार्ड और पुलिस का फर्जी आई-कार्ड मिला। इसके अलावा नेवी और आर्मी कैंटीन कार्ड भी उसके पास से मिले।
पत्नी से झूठ बोलकर निकलता था कि वह ड्यूटी जा रहा है
वह पुलिस लिखी कार में हर दिन ड्यूटी के लिए निकलता था। लेकिन वह वास्तव में किसी भी पुलिस थाने में तैनात नहीं था। उसकी पत्नी के अनुसार, वह हर सुबह वर्दी पहनकर ड्यूटी पर जाने का नाटक करता था।
फर्रुखाबाद के मोहम्मदाबाद के गांव रठौरा नगला का रहने वाला है आरोपी
पुलिस ने संजीव के मोबाइल फोन की सर्च हिस्ट्री की जांच की। जिसमें उसने पुलिस जांच और ट्रेनिंग से जुड़े कई पहलुओं को गूगल पर सर्च किया था। उसके ड्राइविंग लाइसेंस में भी वह वर्दी में दिखाई दे रहा था। पुलिस ने उसका ड्राइविंग लाइसेंस सीज कर लिया है। संजीव की उम्र 29 साल है और वह गांव रठौरा नगला का निवासी है। पुलिस ने उसकी असली पहचान की पुष्टि करने के लिए एक टीम को फर्रुखाबाद भेजा है।
डायरी पर पुलिस की तरह फर्जी क्राइम सीन के नक्शे भी बनाए
संजीव के पास से एक डायरी भी मिली, जिसमें उन्नाव की दो एफआईआर की कॉपी और कुछ अपराधियों के नाम और घटनाक्रम की जानकारी लिखी हुई थी। डायरी में पुलिस के तरीके से क्राइम सीन के नक्शे भी बनाए गए थे। यह सब देखकर पुलिस भी दंग रह गई।
पत्नी को बताया है असली दरोगा, शादी में लाखों का दहेज लिया
घर की तलाशी में आईएएस ट्रेनिंग सेंटर मसूरी का फर्जी आई-कार्ड, नेवी और आर्मी कैंटीन कार्ड भी मिला। पुलिस की पूछताछ के दौरान संजीव की पत्नी ने दावा किया कि उसके पति असली दरोगा हैं और उन्होंने उसके पिता से लाखों का दहेज लिया है।
नौकरी दिलवाने के नाम पर एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी से छह लाख ठगे
संजीव की ठगी का दायरा सिर्फ आम लोगों तक सीमित नहीं था। उसने पुलिस विभाग के कर्मचारियों को भी धोखा दिया। काकादेव इलाके में रहने वाले एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी विजय यादव से उसने नौकरी दिलाने के नाम पर 6 लाख रुपए लिए थे। पुलिस अब ऐसे सभी लोगों से तहरीर मांग रही है। जिन्हें संजीव ने ठगा है। माना जा रहा है कि संजीव के खिलाफ और भी कई मुकदमे दर्ज हो सकते हैं।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने संजीव के घर से 11 जोड़ी जूते, 4 दरोगा की कैप, और कई ब्रांडेड सामान भी बरामद किए। संजीव के मोबाइल फोन में कई हिल स्टेशन की तस्वीरें भी मिलीं। जिनसे पता चलता है कि वह अक्सर घूमने जाता था। संजीव की इस फर्जीवाड़े की कहानी ने न सिर्फ कानपुर बल्कि पूरे पुलिस विभाग को भी हिला कर रख दिया है।
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