दैनिक उजाला 24। एलन मस्क की ब्रेन-चिप स्टार्टअप कंपनी न्यूरालिंक ने एक क्रांतिकारी डिवाइस तैयार की है। जिसका नाम ब्लाइंडसाइट है। यह डिवाइस विशेष रूप से दृष्टिहीन लोगों के लिए बनाई गई है। जो अपनी दृष्टि खो चुके हैं या जिनकी आंखों की ऑप्टिक नर्व डैमेज हो गई है। इस डिवाइस को अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से मंजूरी मिल गई है। जिसे ब्रेकथ्रू डिवाइस डेजिग्नेशन भी प्राप्त हुआ है। यह डेजिग्नेशन उन उपकरणों को दिया जाता है। जो गंभीर बीमारियों या स्थितियों में जीवन रक्षक समाधान प्रदान कर सकते हैं।
डिवाइस कैसे काम करेगी?
ब्लाइंडसाइट डिवाइस के माध्यम से न्यूरालिंक का दावा है कि यह न केवल उन लोगों की मदद करेगी जो अपनी दृष्टि खो चुके हैं, बल्कि उन लोगों को भी देखने में सक्षम बनाएगी, जो जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। एलन मस्क ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में यह डिवाइस उपयोगकर्ताओं को कम रेजोल्यूशन में देखने की सुविधा देगी, लेकिन समय के साथ विज़न बेहतर होता जाएगा। इसके साथ ही, यह डिवाइस उपयोगकर्ताओं को सामान्य दृष्टि के अलावा इन्फ्रारेड और अल्ट्रावॉयलेट तरंगों को भी देखने की क्षमता प्रदान करेगी, जो आमतौर पर मानव आंखों से नहीं देखी जा सकतीं।
इस डिवाइस के भविष्य की ओर इशारा करते हुए मस्क ने ‘स्टार ट्रैक: द नेक्स्ट जेनरेशन’ के पात्र जिओर्डी ला फोर्ज का उदाहरण दिया, जो जन्म से दृष्टिहीन था लेकिन एक गैजेट की मदद से देख सकता था। इस संदर्भ में मस्क का कहना है कि न्यूरालिंक की ब्लाइंडसाइट डिवाइस भी कुछ ऐसा ही कमाल कर सकती है।
पैरालिसिस के मरीजों के लिए भी उम्मीद
न्यूरालिंक केवल दृष्टिहीन लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पैरालाइज या लकवाग्रस्त मरीजों के लिए भी एक बड़ी राहत लाने की योजना बना रही है। कंपनी इस साल 8 मरीजों के दिमाग में एक विशेष चिप इम्प्लांट करने का लक्ष्य रखती है। जो उनके दिमाग और कंप्यूटर के बीच सीधा संपर्क बनाएगी। यह चिप, जिसे लिंक नाम दिया गया है। कंप्यूटर और दिमाग के बीच एक कम्युनिकेशन चैनल के रूप में कार्य करेगी। जिससे मरीज न केवल चलने-फिरने में सक्षम हो सकेंगे बल्कि कंप्यूटर का भी इस्तेमाल कर सकेंगे। मस्क का दावा है कि यह चिप लकवाग्रस्त मरीजों को फिर से गतिशील बना सकती है और उनके जीवन की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार ला सकती है। यदि ह्यूमन ट्रायल सफल होते हैं। तो यह उन लाखों लोगों के लिए वरदान साबित हो सकती है जो शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं।
न्यूरालिंक की तकनीकी क्रांति
न्यूरालिंक के डिवाइस में एक छोटी चिप को मानव मस्तिष्क में इम्प्लांट किया जाएगा। जो मस्तिष्क की न्यूरल गतिविधियों को ट्रैक करेगी और उन संकेतों को कंप्यूटर या अन्य उपकरणों तक पहुंचाएगी। यह तकनीक एक छोटे सिक्के के आकार की चिप पर आधारित है, जिसे सर्जरी के माध्यम से मस्तिष्क में लगाया जाता है। इसका उद्देश्य मानव मस्तिष्क और तकनीकी उपकरणों के बीच सीधे संवाद स्थापित करना है।
न्यूरालिंक का कहना है कि उनकी यह चिप, दृष्टिहीनों को दृष्टि वापस दिलाने, लकवाग्रस्त लोगों को चलने-फिरने में सक्षम बनाने और यहां तक कि मस्तिष्क से सीधे कंप्यूटर नियंत्रित करने जैसे कई अद्वितीय क्षमताओं का विकास करेगी। इससे न केवल चिकित्सा के क्षेत्र में बल्कि मानव क्षमता में भी एक नई क्रांति की शुरुआत हो सकती है। मस्क का यह भी मानना है कि यह तकनीक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर मानव जीवन को नए स्तर तक ले जा सकती है।
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि न्यूरालिंक की इस तकनीक में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन इसके सामने कई चुनौतियाँ भी हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि मस्तिष्क की जटिलता को समझना और उससे प्रभावी रूप से संवाद स्थापित करना बेहद कठिन है। इसके अलावा, मस्तिष्क में चिप इम्प्लांट करने की प्रक्रिया भी जोखिम से भरी हो सकती है। इसके बावजूद, मस्क और उनकी टीम को भरोसा है कि यदि यह तकनीक सफल होती है, तो यह चिकित्सा के क्षेत्र में एक अभूतपूर्व बदलाव ला सकती है।
इस दिशा में न्यूरालिंक का अगला कदम मानव ट्रायल्स को सफलतापूर्वक पूरा करना है। अगर यह ट्रायल्स सफल होते हैं, तो कंपनी अगले कुछ वर्षों में इन चिप्स को व्यापक स्तर पर उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखेगी।
न्यूरालिंक की ब्लाइंडसाइट और लिंक जैसी डिवाइसें मानवता के लिए एक नई दिशा का संकेत देती हैं। ये डिवाइसें न केवल दृष्टिहीनों और विकलांगों के लिए जीवन बदलने वाली साबित हो सकती हैं, बल्कि भविष्य में तकनीक और मानव मस्तिष्क के बीच गहरे संवाद की संभावना भी पैदा कर सकती हैं। अगर न्यूरालिंक का प्रयास सफल होता है, तो चिकित्सा, तकनीक और मानव जीवन के बीच एक नया युग शुरू हो सकता है, जो संभावनाओं से भरा होगा।